कोरोना के कारण सैलानी होली की 112 वर्षो की परंपरा हुई खंडित.

बुलढाणा - 10 मार्च
भयावाह कोरोना वायरस के कारण बुलढाणा जिला प्रशासन ने सैलानी बाबा की यात्रा को स्थगित कर दिया गया है जिसके कारण यहां जलनेवाली राज्य की सबसे बडी होली भी नही जलाई गई और ये 112 वर्षों की परंपरा खंडित हो गई है.
बुलढाणा जिले के ग्राम पिंपलगांव सराय के पास हाजी हज़रत अब्दुल रहमान उर्फ सैलानी बाबा की दरगाह है जहां लाखों की तादाद में हर साल भाविक पहूंचकर अपनी अकीदत पेश करते हैं.बता दे कि सैलानी बाबा की यात्रा का आरंभ होलीका दहन से होता है और इस होलिका दहन में केवल राज्य ही नही बल्कि पूरे देश भर से लाखों भाविक सैलानी में पहूंचते हैं.पडोसी देश चीन के बाद भारत मे भी कोरोना वायरस की चपेट में आए कुछ मरीज़ पाए गए.इस जानलेवा बीमारी के फैलने से पहेले ही उसे रोकने के लिए प्रशासन मुस्तैद हो गया तथा बुलढाणा जिलाधिश श्रीमती सुमन चंद्रा रावत ने 5 मार्च को एक आदेश के तहत सैलानी बाबा की यात्रा को स्थगित कर दिया है ताकि सैलानी में भीड इकट्ठा ना होने पाए.भाविकों को सैलानी में पंहुचने से रोकने के लिए सैलानी की तरफ आनेवाले सभी रास्तों पर कडा पुलिस बंदोबस्त तैनात किया गया है. सैलानी यात्रा में होलिका दहन का सिलसिला पिछले चला आ रहा है.मुजावर परिवार के हातों से होली को अग्नि देकर यात्रा का आरंभ किया जाता किंतु इस वर्ष कोरोना के कारण होली भी नही जलाई गई और 112 वर्षों से जारी होलिका दहन की ये परंपरा इस साल खंडित हो गई है.खास बात तो ये है कि सैलानी की होली में भक्तगण नारियल के साथ अपने शरीर से उतारे हुए कपड़े जलाते है.भक्तो की ये आस्था है कि ऐसा करने से भूत-प्रेत, करनी-कौटाल, जादू-टोना से निजात मिलती है.इस होली में करीब 10 से 12 ट्रक नारियल जलाए जाते है.होलिका दहन में शामिल होने के लिए आए भाविकों को सैलानी में दाखिल नही होने दिया गया जबकि कुछ भक्त 20 से 25 किलोमीटर पैदल चलकर सैलानी तो पहोंचे किंतु होली नही जलने के कारण काफी निराश हो गए थे.

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